Mutual Fund क्या होता है ? निवेश करणे से पेहले किन बातो को ध्यान रखकर निवेश करे ?
Mutual fund एक शेयर बाजार से जुडा हुआ एक निवेश साधन है (market linked product). जिसमे निवेशक अपना पैसा दीर्घकाल के लिये निवेश करकर अच्छा खासा रिटर्न कमाते है. अगर उदाहरण के तौर पर समजा जाये तो मान लिजिए की पूजा को अपना पैसा निवेश करना है और वह चाहती है की उसकी राशीं का शेयर बाजार में निवेश हो. लेकिन समस्या यह है की उसे शेयर बाजार का ज्ञान नहीं है, इस मामले में पूजा अपनी धन राशीं को mutual fund द्वारा मार्केट में निवेश करेगी.
अभि जानने की कोशिश करते है, mutual fund कैसे काम करता है?
AMC (Asset Management company) के द्वारा पूजा अपनी धन राशीं का निवेश उनके किसी अच्छे फंड में करेगी अब वह राशीं पेशावर फंड मॅनेजर्स द्वारा Diversified तरिके से शेयर मार्केट और अन्य प्रतिभूतीयो में निवेश करेंगे जिनमे कंपनीयो के बॉण्ड और गोल्ड फंडस् भी शामिल है. Diversified इन्व्हेस्टमेंट क्या होता है, यह हम नये आर्टिकल में सांझा करेंगे.
सामान्य तरिके से देखा जाये तो पूजा निवेश करते समय किन बातो को ध्यान में रखकर निवेश करेंगी.
1) NAV (Net Asset Value)
Net asset value की अगर बात करे तो यह पूजा के द्वारा चुने गये फंड की प्रति युनिट की किमत है, जो रोजाना कारोबारी दिन खत्म होने पर mutual fund की वेबसाईट और AMFI वेबसाईट पर प्रकाशित होते है.
2) निवेश उद्देश्य (Investment Objective)
ऐसा mutual fund चुने जो आपके निवेश उद्देश्य को पुरा करता हो और उद्देश्य के अनुरूप हो. अगर आपका उद्देश्य दीर्घकाल के लिये निवेश करना हो तो आपको इक्वीटी mutual fund में निवेश करना उचित होगा, इसके विपरीत आपका उद्देश्य एक या एक साल से कम के निवेश का होगा तो हायब्रीड mutual fund इन्व्हेस्टमेंट का विकल्प चुनना विवेकपूर्ण निर्णय रहेगा.
इक्वीटी एवं हायब्रीड फंडस् क्या होते है इसके बारे में अगले लेख में विस्तार से जानेंगे.
3) Expense Ratio :-
यह शुल्क है जो आपकी निवेश किये गये राशी से काटा जाता है, तो जब भी आप mutual fund चुनेंगे तो कम expense ratio वाले फंडस् का ही चुनाव करे जिससे आपके आने वाले रिटर्न्स से यह शुल्क का प्रभाव काम होगा.
4) प्रदर्शन इतिहास (Performance History) :-
पिछले प्रदर्शन पर ध्यान रखें, लेकिन जरुरी नहीं है की जैसे पिछला प्रदर्शन हुआ है वैसे ही आणे वाले समय में फंड प्रदर्शन करेगा. इसलिये सलाह दिया जाता है की 1, 3, 5, 10 साल के रिटर्न देखने का सुझाव दिया जाता है, जिससे फंड के स्थिर प्रदर्शन के बारे में पता चलता है और ऐसा ही फंड चुने जिसने अपने श्रेणी या बेंचमार्क की औसत से प्रदर्शन किया हो.
5) विविधिकरण (Diversification) :-
निवेश करते समय ध्यान रखें की आप फंड के चुनाव तक ही सीमित ना रहे, पूर्ण राशी एक ही फंड में ना निवेश करके, अलग अलग परिसंपत्ती वर्गो (असेट क्लास) एवं क्षेत्रो में विविधता लाने के लिये विभीन्न प्रकार की mutual funds का चयन करे.
6) लिक्विडिटी :-
ऐसा mutual fund चुने जो लिक्विडिटी प्रदान करता हो, लिक्विडिटी मतलब आप जरुरत के हिसाब से जब चाहे अपने युनिट्स बेच सकते है, ज्यादा तर फंडस् ओपन एंडेड होते है, और कई फंड ऐसे भी है जो लॉक इन अवधी के तेहत निवेश का मौका प्रदान करते है, जैसे की ELSS एवं FMP. ELSS तीन साल के लॉक इन अवधी के साथ आता है, तो ध्यान रखें की अपने जरुरत के हिसाब से नॉन लिक्विड फंडस् का चुनाव करे.
ELSS एवं अन्य क्लोज एंडेड फंडस् के बारे में अगले आर्टिकल में विस्तार से जानेंगे.
7) कर निहितार्थ (Tax Implication ) :-
Mutual fund कॅपिटल गेन टॅक्स के तेहत आता है, इसलिये सुनिश्चित कर ले की आप टॅक्सेस के बारे में जानते है.
A) Longterm capital gain टॅक्स (LTCG):-
एक साल से अधिक अवधी के लिये यदी आप निवेश कर रहे है, तो यह LTCG के तेहत टॅक्स के अधीन होता है. इसमे 1 लाख तक के रिटर्न के लिये छुट है और अधिक के राशी पर 10% का LTCG टॅक्स लगेगा.
B) Short term capital gain टॅक्स (STCG) :-
एक साल या एक साल से कम अवधी के निवेश के लिये STCG लागू होगा, यह एक लाख की छुट तथा 15% कर
के अधीन है. इसलिये सलाह दी जाती है की दीर्घकाल के लिये Mutual fund में निवेश करना सही है.
8) फंड मॅनेजर :-
जैसे हवाई जहाज उडाने से पहले पायलट का तजुर्बा देखा जाता है उसी प्रकार से, mutual फंड मे निवेश से पहले फंड के फंड मॅनेजर्स का भी ट्रॅक रेकॉर्ड देखना उतना ही अनिवार्य हो जाता है, इससे फंड कैसे प्रदर्शन करेगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
मै आशा करता हूं की सभी निवेशको को जानकारी से लाभ होगा, जिससे आप एक अच्छा फंड का चुनाव बडी आसानी से कर सकेंगे.
याद रखें - म्यूचुअल फंड निवेश बाज़ार जोखिम के अधीन हैं, योजना संबंधी सभी दस्तावेज़ों को सावधानी से पढ़ें।
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